পি.এম.না ২০২১গী পার্লিয়ামেন্তগী নোংজু মীফমগী মাংওইননা থমখিবা ৱারোলগী মনিপুরী ৱাহন্থোক

 প্রধানমন্ত্রীগী লোইশঙ

পি.এম.না ২০২১গী পার্লিয়ামেন্তগী নোংজু মীফমগী মাংওইননা থমখিবা ৱারোলগী মনিপুরী ৱাহন্থোক


হৌজিক ফাওবদা ভারত মচা করোর ৪০না মখোয়গী পাম্বোমদা তীকা কাপতুনা ‘বাহুবলি’ ওইখ্রে: পি.এম.

ঐখোয়না পার্লিয়ামেন্তদা লাইচৎকী মতাংদা কান্নরবা অফবা দিবেৎ তৌনবা পাম্মি: পি.এম.

ঐহাক্না ফ্লোরগী লুচিংবশিংদা লাইচৎকী মতাংদা খন্ন-নৈননবা হয়েং নুমিদাং ৱাইরমদা মতম কাইথোক্নবা হায়জখ্রে: পি.এম.

ওপোজিসন্না অরুবা অমসুং মনুং হকচিনবা ৱাহংশিং হঙগদবনি অদুবু শান্তি লৈবা মওং অমদা পাউখুম পীনবা খুদোংচাবসু পীগদবনি: পি.এম.

Posted On: 19 JUL 2021 11:13AM by PIB Imphal
পি.এম.না ২০২১গী পার্লিয়ামেন্তগী নোংজু মীফমগী মাংওইননা থমখিবা ৱারোলগী মনিপুরী ৱাহন্থোক

মরুপশিংবু তরাম্না ওকচরি অমদি ময়াম পুম্নমক্না অমত্তং ওইরবসু তীকা থাদোক্লম্লগনি হায়না ঐহাক্না থাজৈ। অদুম ওইনমক ঐহাক্না ময়াম পুম্বদা অমদি ঐহাক্কী হাউস অসিদা লৈরিবা মরুপ পুম্নমক্তা কোরোনাগী প্রোতোকলশিং অসি ঙাক্না চৎপদা মতেং পাংবীয়ু হায়না হায়জরি। ভেক্সিন অসি ‘বাহু’ (পাম্বোম)দা কাপ্পী অমসুং মসি কাপখ্রবা মীওইশিং অসি ‘বাহুবলি’ ওইরকই। কোরোনাগী মায়োক্তা লান্থেংননবা বাহুবলি ওইনবা অমত্তা ঙাইরবা লম্বী অসি তীকা থাদোকপনি।

কোরোনা লাইচৎ অসিগী মায়োক্তা মীওই করোর ৪০ হেন্না ‘বাহুবলি’ ওইখ্রে। মসি খোঙজেল য়াংনা মাংদা চংশিল্লি। লাইচৎ অসিনা মালেম শিনবা থুংনা, মীওইবা খুন্নাই অপুনবদা চৈথেং পীখি। মরম অসিনা ঐখোয়না লাইচৎকী মতাংদা কান্নরবা দিবেৎ তৌবা পাম্মি। ঐখোয়না লাইচৎ অসিগী মায়োক্তা লান্থেংননবা অনৌবা ৱাখল্লোন কয়া পুথোক্নবা ইকাই খুম্নরবা এম.পি. পুম্নমক্তগী প্রেক্তিকেল সজেসন পুম্নমক ঐখোয়না ফংনবা খ্বাইদগী মরু ওইবা মীৎয়েং পীবা তাই। করিগুম্বা মসিদা অশোই খরা লৈবা তারবদি মখোয়না মদু চুমথোকপা তাই অমসুং ঐখোয়না লাঞ্জং অসিদা পুন্না মাংদা চংশিনবা তাই।

ঐহাক্না ফ্লোরগী লুচিংবা পুম্নমক্তা হয়েং নুমিদাং ৱাইরমদা মতম কাইথোক্নবা হায়জখ্রে মরমদি ঐহাক্না লাইচৎ অসিগী ওইরিবা ফীভমগী মতাংদা অকুপ্পা মরোল য়াওবা প্রজেন্তেসন অমা মখোয়দা পীবা পাম্মি। ঐখোয়না হাউস মনুংদা লোইননা মপান্দা ফ্লোরগী লুচিংবা পুম্নমক্কা খন্ন-নৈনবা পাম্মি মরমদি ঐহাক্না লেপ্পা লৈতনা মুখ্য মন্ত্রীশিংগা উনদুনা লাকখি। তোঙান তোঙানবা ফোরমশিংদা খন্ন-নৈনবশিং পাঙথোক্লি। মসি হাউস্তা দিবেৎকা লোইননা ফ্লোরগী লুচিবশিংগা লোইননা খন্ন-নৈনরবদি হেন্না খুদোংচাগনি।

মীয়াম্না হংলকপা ৱাহংশিংগী পাউখুম সরকারনা পীবা ঙম্নবা হন্দক্কী সেসন অসি কান্নরবা দিবেৎশিংগা লোইননা রিজল ওরিয়েন্তেদ ওইহনসি। ঐহাক্না ইকাই খুম্নরবা এম.পি.শিং অমসুং দল পুম্নমক্তা হাউসশিংদা খ্বাইদগী অরুবা অমসুং মনুং হকচিনবা ৱাহংশিং হংনবা হাজরি অদুবু সরকারনা শান্তি লৈবা মওংদা পাউখুম পীনবসু অয়াবা পীনবীয়ু। দেমোক্রেসী অসি মীয়ামদা অচুম্বা অদু য়ৌহল্লবতদা মপাঙ্গল কনখৎলি। মসিনা মীয়ামগী থাজবা অমদি চাউখৎ-থৌরাংগী খোঙজেলদা মপাঙ্গল হাপ্পি।


মরুপশিং, হন্দক্কী সেসন অসিগী মনুংগী ওইবা শিল-লাংবা অসি মমাংগা মান্নদে, মীপুম খুদিংমক্না ফম্মিনদুনা অমদি পুন্না থবক তৌগনি মরমদি মসিদা অয়াম্বা মীওই তীকা থাদোক্লবা ঙাক্তনি। ঐহাক্না অমুক হন্না ময়ামদা থাগৎপা ফোঙদোকচরি অমসুং ময়ামদা ইশাবু চেকশিন্না লৈনবা হায়জরি। ঐখোয় পুন্না লৈবাক অসিগী অনীংবশিং অমসুং আশাশিং থুংহন্নবা অমত্তা ওইনা থবক তৌরসি।

মরুপশিং, হন্না-হন্না থাগৎচরি!

দিস্কগ্লেমর: মসি পি.এম.না থমখিবা ৱারোলগী চাউরাকপা ৱাহন্থোক্নি। তশেংবা ৱারোলদি হিন্দীদা পীবীখিবনি।


संसद के मानसून सत्र 2021 की शुरुआत में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

अब तक 40 करोड़ से ज्‍यादा लोग कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बाहुबली बन चुके हैं: प्रधानमंत्री

हम चाहते हैं कि संसद में भी इस महामारी के संबंध में सार्थक चर्चा हो, सबसे प्राथमिकता देते हुए इसकी चर्चा हो

राजनीतिक दलों से आग्रह करूंगा कि वो तीखे से तीखे सवाल पूछें, धारदार सवाल पूछें लेकिन शांत वातावरण में सरकार को जवाब का मौका भी दें: प्रधानमंत्री

Posted On: 19 JUL 2021 11:13AM by PIB Delhi

साथियों, सबका स्‍वागत है और मैं आशा करता हूं कि आप सबका वैक्‍सीन का कम से कम एक डोज लग गया होगा। लेकिन उसके बावजूद भी मेरी आप सब मित्रों से प्रार्थना भी है, सदन में भी सभी साथियों से प्रार्थना है कि हम सब कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने में सहयोग दें। अब ये वैक्‍सीन जो है बाहु पर लगती है, और जब वैक्‍सीन बाहु पर लगती है तो सब बाहुबली बन जाते हैं। और कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए बाहुबली बनने के लिए एक ही उपाय है कि आपके बाहु पर वैक्‍सीन लगवा दीजिए।

अब तक 40 करोड़ से ज्‍यादा लोग कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बाहुबली बन चुके हैं। आगे भी बहुत तेज गति से इस काम को आगे बढ़ाया जा रहा है। ये Pandemic ऐसी महामारी है जिसने पूरे विश्‍व को  अपनी चपेट में लिया हुआ है, पूरी मानव जाति को अपनी चपेट में लिया हुआ है। और इसलिए हम चाहते हैं कि संसद में भी इस Pandemic के संबंध में सार्थक चर्चा हो, सबसे प्राथमिकता देते हुए इसकी चर्चा हो और सारे व्‍यवहारू सुझाव सभी माननीय सांसदों से मिलें ताकि Pandemic के खिलाफ लड़ाई में बहुत नयापन भी आ सकता है, कुछ कमियां रह गई  हों तो उनको भी ठीक किया जा सकता है और इस लड़ाई में सब साथ‍ मिल करके आगे बढ़ सकते हैं।


मैंने सभी फ्लोर लीडर्स से भी आग्रह किया है कि अगर कल शाम को वे समय निकालें तो Pandemic के संबंध में सारी विस्‍तृत जानकारी उनको भी मैं देना चाहता हूं। हम सदन में भी चर्चा चाहते हैं और सदन के बाहर भी सभी फ्लोर लीडर्स से, क्‍योंकि लगातार मैं मुख्‍यमंत्रियों से मिल रहा हूं। अलग-अलग forum में सब प्रकार की चर्चा हो रही है। तो फ्लोर लीडर्स से भी मैं चाहता हूं कि सदन चल रहा है तो एक सुविधाजनक होगा, रूबरू मिलकर उसकी बात होगी।

साथियों, ये सदन परिणामकारी हो, सार्थक चर्चा के लिए समर्पित हो, देश की जनता जो जवाब चाहती है वो जवाब सरकार को देने की पूरी तैयारी है। मैं सभी माननीय सांसदों  से, सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करूंगा कि वो तीखे से तीखे सवाल पूछें, धारदार सवाल पूछें लेकिन शांत वातावरण में सरकार को जवाब का मौका भी दें। ताकि जनता-जनार्दन के पास सत्‍य पहुंचाने से लोकतंत्र को भी ताकत मिलती है, जनता का भी विश्‍वास बढ़ता है और देश की गति भी तेज होती है प्रगति की।

साथियों, ये सत्र अंदर की व्‍यवस्‍था पहले की तरह नहीं है, सब साथ बैठकर काम करने वाले हैं क्‍योंकि करीब-करीब सबका वैक्‍सीनेशन हो चुका है। मैं फिर एक बार आप सभी साथियों का बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं और आपसे भी आग्रह करता हूं आप खुद को संभालिए। और हम सब मिल करके देश की आशा-आकांक्षाओं को पार करने के लिए साथ मिल करके प्रयास करें।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद साथियों।






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Shri Govindas Konthoujam, Hon, ble MLA, Bishnupur AC, President, MPCC mityeng makha da lakkadouriba tang 21 da pangthokadouri Eid Ul Adha kumei ga mari leinana Bishnupur Muslim Leikai, Ward No. 2 gi apunba yumthong 180 da chana thaknaba potlam sing yengthokpagi thouram am pangthokkhre,


 Shri Govindas Konthoujam, Hon, ble MLA, Bishnupur AC, President, MPCC mityeng makha da lakkadouriba tang 21 da pangthokadouri Eid Ul Adha kumei ga mari leinana Bishnupur Muslim Leikai, Ward No. 2 gi apunba yumthong 180 da chana thaknaba potlam sing yengthokpagi thouram am pangthokkhre,

Shri Govindas Konthoujam, Hon, ble MLA, Bishnupur AC, President, MPCC mityeng makha da lakkadouriba tang 21 da pangthokadouri Eid Ul Adha kumei ga mari leinana Bishnupur Muslim Leikai, Ward No. 2 gi apunba yumthong 180 da chana thaknaba potlam sing yengthokpagi thouram am pangthokkhre, hairiga thouram asida Shah Nawazkhan, Secretary, MPCC amasung 26/1 polling cum development committee ga punna khutshamnaduna yenthokkhiba potlam sing adudi 1.Rice, 2.Sugar, 3.Hawai, 4.Alu, 5.Potato & 6. Mustard Oil ni. Eid ul Adha gi mari leina na Hon, ble MLA Bishnupur AC, President, MPCC bu Shah Nawazkhan, Secretary, MPCC amasung polling Committee gi office bearers sing na haraoba fongfokpaga loinana tungda mai pakpa oirasanu haiduna mapu da yaipha thouni nijari.

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 Shri Govindas Konthoujam, Hon, ble MLA, Bishnupur AC, President, MPCC mityeng makha da lakkadouriba tang 21 da pangthokadouri Eid Ul Adha kumei ga mari leinana Bishnupur Muslim Leikai, Ward No. 2 gi apunba yumthong 180 da chana thaknaba potlam sing yengthokpagi thouram am pangthokkhre,

Shri Govindas Konthoujam, Hon, ble MLA, Bishnupur AC, President, MPCC mityeng makha da lakkadouriba tang 21 da pangthokadouri Eid Ul Adha kumei ga mari leinana Bishnupur Muslim Leikai, Ward No. 2 gi apunba yumthong 180 da chana thaknaba potlam sing yengthokpagi thouram am pangthokkhre, hairiga thouram asida Shah Nawazkhan, Secretary, MPCC amasung 26/1 polling cum development committee ga punna khutshamnaduna yenthokkhiba potlam sing adudi 1.Rice, 2.Sugar, 3.Hawai, 4.Alu, 5.Potato & 6. Mustard Oil ni. Eid ul Adha gi mari leina na Hon, ble MLA Bishnupur AC, President, MPCC bu Shah Nawazkhan, Secretary, MPCC amasung polling Committee gi office bearers sing na haraoba fongfokpaga loinana tungda mai pakpa oirasanu haiduna mapu da yaipha thouni nijari.

Shri Govindas Konthoujam, Hon, ble MLA, Bishnupur AC, President, MPCC mityeng makha da lakkadouriba tang 21 da pangthokadouri Eid Ul Adha kumei ga mari leinana Bishnupur Muslim Leikai, Ward No. 2 gi apunba yumthong 180 da chana thaknaba potlam sing yengthokpagi thouram am pangthokkhre, Read More

B.1.617.2, known as the Delta variant, is around 40-60 percent more transmissible than Alpha Variant- Dr. N K Arora, Co- Chair, INSACOG

 

B.1.617.2, known as the Delta variant, is around 40-60 percent more transmissible than Alpha Variant- Dr. N K Arora, Co- Chair, INSACOG


“Current vaccines are effective against Delta Variant as per the studies undertaken by ICMR on the issue”

“Any future waves will be controlled and delayed if more people get vaccinated and follow COVID-Appropriate Behaviour effectively”

It is difficult to say that the disease caused due to Delta Variant is more severe- Dr. N K Arora

Posted On: 19 JUL 2021 11:09AM by PIB Delhi

In a recent interview, Dr N K Arora, co-chair, Indian SARS-CoV-2 Genomics Consortium (INSACOG) elaborates about the Standard Operating Procedure (SOP) for testing and follow-up on variants, what makes the Delta variant so transmissible, how genomic surveillance can help contain its spread, and reemphasises on the importance of COVID appropriate behaviour.

INSACOG is a consortium of 28 laboratories of Ministry of Health & Family Welfare, Dept. of Biotechnology, Indian Council of Medical Research (ICMR) and Council of Scientific and Industrial Research (CSIR) for whole genome sequencing in the context of COVID-19 pandemic. INSACOG was established by Ministry of Health and Family Welfare, Govt of India on 25/12/2020.

Recently INSACOG expanded its reach. What is the thought behind its expansion?

There is a need to keep a strict vigil on the emergence of variants of concern and outbreaks so that they can be contained before they spread to a larger region. The Indian SARS-CoV-2 Genomics Consortium (INSACOG), established in December 2020, was a consortium of 10 laboratories. Recently 18 more laboratories became part of it.

The idea is to have a strong network of laboratories to do genomic surveillance of the SARS-CoV-2 and correlate whole genomics sequencing (WGS) data with clinical and epidemiological data to see whether or not a variant is more transmissible, causes more severe disease, escaping immunity or causing breakthrough infections, affecting vaccine efficacy, and diagnosed by current diagnostic tests.

Then National Center for Disease Control (NCDC) analyse this data. The entire country has been divided into geographical regions and each lab is given the responsibility of one particular region. We have formed 180-190 clusters with around 4 districts in each cluster. Regular random swab samples and samples of patients who develop severe illness, vaccine breakthrough infections, and other atypical clinical presentations, are collected and sent to regional laboratories for sequencing. The current capacity of the country is to sequence over 50,000 samples per month; earlier it was approximately 30,000 samples.

What kind of mechanism country has for testing and follow up on variants?

India has a well-established mechanism of Integrated Disease Surveillance. The IDSP coordinates sample collection and transportation from the districts/sentinel sites to Regional Genome Sequencing Laboratories (RGSL). The RGSLs are responsible for genome sequencing and identification of Variants of Concerns (VOC)/Variants of Interest (VOI), Potential Variants of Interest and other mutations. Information on VOC/VOI is directly submitted to the Central Surveillance Unit for clinical-epidemiological correlation in coordination with State Surveillance Officers. The samples are then sent to the designated bio banks.

RGSLs, upon identification of a genomic mutation which could be of public health relevance, submit the same to Scientific and Clinical Advisory Group (SCAG). SCAG thereafter discusses the Potential Variants of Interest and other mutations with experts and if necessary, recommends to the Central Surveillance Unit for further investigation.

Sharing of information and clinical-epidemiological correlation is done by IDSP, a unit of NCDC, along with the Ministry of Health, the Indian Council for Medical Research, Department of Biotechnology, Council for Scientific and Industrial Research and state authorities.

Finally, the new mutations/variants of concern are cultured and scientific studies are undertaken to see the impact on infectiousness, virulence, vaccine efficacy and immune escape properties.

The Delta variant has been in focus as a global concern. What makes this variant so virulent?

B.1.617.2, a variant of COVID-19 is known as the Delta variant. It was first identified in October 2020 in India, and was primarily responsible for the second wave in the country, today accounting for over 80 percent of new Covid-19 cases. It emerged in Maharashtra and travelled northwards along the western states of the country before entering the central and the eastern states.

It has mutations in its spike protein, which helps it bind to the ACE2 receptors present on the surface of the cells more firmly, making it more transmissible and capable of evading the body’s immunity. It is around 40-60 percent more transmissible than its predecessor (Alpha variant) and has already spread to more than 80 countries, including the UK, the USA, Singapore, and so on.

Does it also cause more severe disease as compared to other variants?

There are studies that show that there are some mutations in this variant that promote syncytium formation. Besides, on invading a human cell, it replicates faster. It leads to a strong inflammatory response in organs like the lungs. However it is difficult to say that disease due to delta variant is more severe. The age profile and the deaths during the second wave in India were quite similar to that seen during first wave.

Is Delta Plus variant more aggressive than Delta variant?

The Delta Plus variant—AY.1 and AY.2—has so far been detected in 55-60 cases across 11 states, including Maharashtra, Tamil Nadu, and Madhya Pradesh. AY.1 is also found in countries like Nepal, Portugal, Switzerland, Poland, Japan but AY.2 is less prevalent. The variant is still being studied for its transmissibility, virulence, and vaccines escape characteristics.

Are the vaccines effective against the Delta variant?

Yes, current vaccines are effective against Delta Variant as per the studies undertaken by ICMR on the issue.

Some parts of the country are still witnessing a spurt in the number of cases. Why?

Though there is a significant dip in the number of cases in most parts of the country, some regions are witnessing a high-Test Positivity Rate (TPR) particularly in the north-eastern parts of the country and several districts in the southern states, most of these cases could be due to the Delta variant.

Can future waves be prevented?

A virus begins infecting a part of the population, which is most susceptible and also exposed to the infection. It diminishes after it successfully infects a large proportion of the population and strikes back when the immunity developed in the people post-natural infection fades. The cases may go up if a new, more infectious variant comes. In other words, next wave will be driven by a virus variant to which significant proportion of population is susceptible.

The second wave is still going on. Any future waves will be controlled and delayed if more and more people get vaccinated and most importantly, people follow COVID-Appropriate Behaviour effectively, especially till a substantial part of our population gets vaccinated.

People need to focus on vaccination and adherence to COVID Appropriate Behaviour to manage COVID-19.



अल्फा वैरियंट से बी.1.617.2 डेल्टा वैरियंट 40-60 प्रतिशत अधिक संक्रामक – डॉ. एन के अरोड़ा, सह-अध्यक्ष आईएनएसएसीओजी

“इस विषय पर आईसीएमआर द्वारा किये गये अध्ययन के अनुसार मौजूदा वैक्सीन डेल्टा वैरियंट पर कारगर”

“ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीके लगने और कोविड उपयुक्त व्यवहार के कड़े अनुपालन से महामारी की भावी लहरों को नियंत्रित और टाला जा सकता है”
यह कहना कठिन है कि डेल्टा वैरियंट के कारण होने वाली बीमारी ज्यादा गंभीर होती हैः डॉ. एन के अरोड़ा

Posted On: 19 JUL 2021 11:09AM by PIB Delhi

हाल के एक साक्षात्कार में इंडियन सार्स-कोव-2 जेनोमिक्स कॉन्सॉर्टियम (आईएनएसएसीओजी) के सह-अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा ने वैरियंट की जांच और उसके व्यवहार के हवाले से मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी)के बारे में चर्चा की। यह जांच यह जानने के लिये की जाती है कि डेल्टा वैरियंट इतना संक्रामक क्यों है। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह जेनोमिक निगरानी के जरिये इसे फैलने से रोका गया। उन्होंने फिर जोर देकर कहा कि कोविड उपयुक्त व्यवहार बहुत अहमियत रखता है।

आईएनएसएसीओजी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) तथा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की 28 प्रयोगशालाओं का संघ है, जो कोविड-19 महामारी के संदर्भ में जिनोम सीक्वेंसिंग करता है। आईएनएसएसीओजी को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 25 दिसंबर, 2020 को गठित किया था।

आईएनएसएसीओजी ने हाल में अपना दायरा बढ़ाया है। इस विस्तार के पीछे की क्या सोच है?

अति गंभीर रूप से बीमार करने वाले वैरियंट के उभरने पर कड़ी नजर रखने की जरूरत थी। उसके फैलाव को भी बराबर देखना था, ताकि बड़े इलाके में उसके फैलाव को पहले ही रोका जा सके। आईएनएसएसीओजी को दिसम्बर 2020 में गठित किया गया था, जो उस समय दस प्रयोगशालाओं का संघ था। हाल में 18 और प्रयोगशालायें उससे जुड़ गई हैं।

सार्स-कोव-2 की जिनोम आधारित पड़ताल करने के लिये प्रयोगशालाओं के मजबूत तंत्र की जरूरत महसूस की गई, ताकि उनके जरिये जिनोम सीक्वेंसिंग के सारे आंकड़ों का रोग और महामारी वाले आंकड़ों के साथ मिलान किया जाये तथा देखा जाये कि वैरियंट-विशेष कितना संक्रामक है, उससे बीमारी कितनी गंभीर होती है, वह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे सकता है या नहीं या टीके लगवाने के बाद उससे दोबारा संक्रमण हो सकता है या नहींयानी, उससे वैक्सीन के प्रभाव पर कितना असर पड़ता है और निदान का जो मौजूदा तरीका है, वह उसके लिये पर्याप्त है या नहीं।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) फिर इन आंकड़ों का विश्लेषण करता है। पूरे देश को भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया है और हर प्रयोगशाला को किसी न किसी विशेष क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है। हमने 180-190 क्लस्टर बनायें हैं और हर क्लस्टर में चार-चार जिलों को रखा है। हम औचक रूप से नमूनों की जांच करते रहते हैं। साथ ही गंभीर रूप से बीमार, टीका लगवाने के बाद संक्रमित लोगों के नमूनों की भी जांच करते हैं। इसके अलावा लक्षण रहित लोगों के नमूनों को भी देखा जाता है। इन सब नमूनों को जमा करके उनकी सीक्वेंसिंग करने के लिये इलाके की प्रयोगशाला में भेज दिया जाता है। इस समय देश में हर महीने 50 हजार से अधिक नमूनों की सीक्वेंसिंग करने की क्षमता है। पहले हमारे पास लगभग 30 हजार नमूनों को हर महीने जांचने की ही क्षमता था।

वैरियंट की जांच और उसके व्यवहार की निगरानी करने की क्या प्रणाली देश के पास है?

भारत के पास बीमारियों पर नजर रखने के एक मजबूत प्रणाली मौजूद है, जो इंटीग्रेटेड डिजीज सर्वेलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) के तहत काम करती है। आईडीएसपी नमूनों को जमा करने और उन्हें जिलों/निगरानी स्थलों से क्षेत्रीय जिनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशालाओं (आरजीएसएल) तक पहुंचाने का समन्वय करता है। आरजीएसएल की जिम्मेदारी है कि वह जिनोम सीक्वेंसिंग करे,गंभीर रूप से बीमार करने वाले (वैरियंट ऑफ कंसर्न – वीओसी) या किसी विशेष वैरियंट (वैरियंट ऑफ इंटरेस्ट – वीओआई) की पड़ताल करे और म्यूटेशन पर नजर रखे। वीओसी/वीओआई की सूचना सीधे केंद्रीय निगरानी इकाई को दी जाती है, ताकि राज्य के निगरानी अधिकारियों के साथ रोग-महामारी के आपसी सम्बंध पर समन्वय बनाया जा सके, ताकि उन्हें मालूम हो सके कि यह रोग या महामारी कितनी भीषण है। उसके बाद नमूनों को बायो-बैंकों में भेज दिया जाता है।

आरजीएसएल जब जन स्वास्थ्य से जुड़े किसी जिनोम म्यूटेशन की पहचान कर लेती है, तो उसकी रिपोर्ट वैज्ञानिक और उपचार सलाहकार समूह (एससीएजी) को सौंप देती है। एससीएजी उसके बाद वीओआई और अन्य म्यूटेशन पर विशेषज्ञों की राय लेता है और अगर जरूरी हुआ तो आगे पड़ताल के लिये केंद्रीय निगरानी इकाई को उसकी सिफारिश करता है।

एनसीडीसी की इकाई आईडीएसपी रोग-महामारी के आपसी सम्बंध और अन्य सूचनाओं को स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद्, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद तथा राज्य के अधिकारियों के साथ साझा करती है।

आखिर में, नये म्यूटेशन/गंभीर रूप से बीमार करने वाले वैरियंट को प्रयोगशाला में जांचा जाता है और उसकी संक्रामकता, घातकता, वैक्सीन के प्रभाव और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने की ताकत का मूल्यांकन किया जाता है।

पूरी दुनिया में डेल्टा वैरियंट से चिंता फैली हुई है। यह वैरियंट इतना घातक क्यों है?

कोविड-19 के बी.1.617.2 को डेल्टा वैरियंट कहा जाता है। पहली बार इसकी शिनाख्त भारत में अक्टूबर 2020 में की गई थी। हमारे देश में दूसरी लहर के लिये यही प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। आज नये कोविड-19 के 80 प्रतिशत मामले इसी वैरियंट की देन हैं। यह महाराष्ट्र में उभरा और वहां से घूमता-घामता पश्चिमी राज्यों से होता हुआ उत्तर की ओर बढ़ा। फिर देश के मध्य भाग में और पूर्वोत्तर राज्यों में फैल गया।

यह म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन से बना है, जो उसे एसीई2 रिसेप्टर से चिपकने में मदद करता है। एसीआई2 रिसेप्टर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद होता है, जिनसे यह मजबूत से चिपक जाता है। इसके कारण यह ज्यादा संक्रामक हो जाता है और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने में सफल हो जाता है। यह अपने पूर्ववर्ती अल्फा वैरियंट से 40-60 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है और अब तक यूके, अमेरिका, सिंगापुर आदि 80 से ज्यादा देशों में फैल चुका है।

अन्य वैरियंट की तुलना में क्या यह ज्यादा गंभीर रूप से बीमार करता है?

ऐसे अध्ययन हैं, जो बताते हैं कि इस वैरियंट में ऐसे कुछ म्यूटेशन हैं, जो संक्रमित कोशिका को अन्य कोशिकाओं से मिलाकर रुग्ण कोशिकाओं की तादाद बढ़ाते जाते हैं। इसके अलावा जब ये मानव कोशिका में घुसपैठ करते हैं, तो बहुत तेजी से अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं। इसका सबसे घातक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। बहरहाल, यह कहना मुश्किल है कि डेल्टा वैरियंट से पैदा होने वाली बीमारी ज्यादा घातक होती है। भारत में दूसरी लहर के दौरान होने वाली मौतें और किस आयुवर्ग में ज्यादा मौतें हुईं, ये सब पहली लहर से मिलता-जुलता ही है।

क्या डेल्टा वैरियंट के मुकाबले डेल्टा प्लस वैरियंट ज्यादा घातक है?

डेल्टा प्लस वैरियंट – एवाई.1 और एवाई.2 – अब तक 11 राज्यों में 55-60 मामलों में देखा गया है। इन राज्यों में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्यप्रदेश शामिल हैं। एवाई.1 नेपाल, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, पोलैंड, जापान जैसे देशों में भी मिला है। इसके बरक्स एवाई.2 कम मिलता है। वैरियंट की संक्रामकता, घातकता और वैक्सीन को चकमा देने की क्षमता आदि का अध्ययन चल रहा है।

क्या डेल्टा वैरियंट के खिलाफ वैक्सीन कारगर है?

जी हां। इस मुद्दे पर आईसीएमआर के अध्ययन के अनुसार मौजूदा वैक्सीनें डेल्टा वैरियंट के खिलाफ कारगर हैं।

देश के कुछ भागों में अब भी मामलों में तेजी देखी जा रही है। ऐसा क्यों?

देश के तमाम भागों में मामलों में गिरावट दर्ज की जा रही है, लेकिन कुछ हिस्सों में आज भी पॉजीटिविटी दर ऊंची है, खासतौर से देश के पूर्वोत्तर क्षेत्रों और दक्षिणी राज्यों के कई जिलों में। इनमें से ज्यादातर मामले डेल्टा वैरियंट के कारण हो सकते हैं।

क्या महामारी की भावी लहरों को रोका जा सकता है?

वायरस ने आबादी के उस हिस्से को संक्रिमत करना शुरू किया है, जो हिस्सा सबसे जोखिम वाला है। संक्रमित के संपर्क में आने वालों को भी वह पकड़ता है। आबादी के एक बड़े हिस्से को संक्रमित करने के बाद वह कम होने लगता है और जब संक्रमण के बाद पैदा होने वाली रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है, तो वह फिर वार करता है। अगर नये और ज्यादा संक्रमण वाले वैरियंट पैदा हुये, तो मामले बढ़ सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो अगली लहर उस वायरस वैरियंट की वजह से आयेगी, जिसके सामने आबादी का अच्छा-खासा हिस्सा ज्यादा कमजोर साबित होगा।

दूसरी लहर अभी चल रही है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीके लगें, लोग कड़ाई से कोविड उपयुक्त व्यवहार करें और जब तक हमारी आबादी के एक बड़े हिस्से को टीके न लग जायें, हम सावधान रहें, तो भावी लहर को नियंत्रित किया जा सकता है और उसे टाला जा सकता है।

लोगों को कोविड-19 के खिलाफ टीके और कोविड उपयुक्त व्यवहार पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

B.1.617.2, known as the Delta variant, is around 40-60 percent more transmissible than Alpha Variant- Dr. N K Arora, Co- Chair, INSACOG Read More

Total curfew in Manipur for 10 days starting today.Today Imphal city view seen, Imphal east and Imphal West.

 Total curfew in Manipur for 10 days starting today.

The entire state of Manipur goes into a lockdown for a period of 10 days starting today, in view of the rising number of Covid-19 cases. The state government has announced strict imposition of curfew with relaxations to only certain essential services.

The decision was taken in view of the wide prevalence of the Delta variant of Covid-19.

Curfew has been imposed across the state from July 18 to July 27.

Today Imphal city view seen, Imphal east and Imphal West.

Photography:-Yenda news agency


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The entire state of Manipur goes into a lockdown for a period of 10 days starting today, in view of the rising number of Covid-19 cases. The state government has announced strict imposition of curfew with relaxations to only certain essential services.

The decision was taken in view of the wide prevalence of the Delta variant of Covid-19.

Curfew has been imposed across the state from July 18 to July 27.

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